केला सिर्फ फल ही नही बल्कि गुणकारी औषधि है, घर बैठे इन 7 बीमारियों से निजात दिलाता है

केला सिर्फ फल ही नही बल्कि गुणकारी औषधि है, घर बैठे इन 7 बीमारियों से निजात दिलाता है

डॉ हरिकृष्ण बाखरु

केले का वानस्पतिक नाम ‘मूसा पारादसिआका’ है। माना जाता है कि इस फल का मूल स्थान भारत और मलाया ही है। केला भारत के सभी धर्मों और सामारोह-आयोजनों में बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है। यूरोप में पौराणिक युग में इसे स्वर्ग का सेब(एप्पल ऑफ पैराडाइज) कहा जाता था। भारत में केले का उत्पादन करने वाले प्रमुख क्षेत्र हैं- दक्षिण भारत, पशिचमी भारत और पूर्वी भारत। पूर्वी भारत में यह बिहार से असम तक पैदा किया जाता है। केला केवल गरम और नमीवाली जलवायु में पैदा होता है। यह असम में 2,500 और दक्षिण में 5,000 फीट की उँचाईवाले क्षेत्रों में पैदा हौता है।

 

केले में पाये जाने वाले गुण-

केले में अनेक पौष्टिक गुण होते हैं यह किसी अन्य फल की तुलना में अधिक ठोस होता है और इसमें पानी का अंश कम होता है। इसलिए इससे कैलोरी ज्यादा मिलती है। एक अच्छे बड़े पके केले से 100 से ज्यादा कैलोरी मिलती है। केले में आसानी से हज़म होने वाला शकर भरपूर होता है।  इसलिए यह शीघ्र ऊर्जा प्राप्त करने और थकान दूर करने वाला है। इसमें विटामिन डी, ई, जी और अच्छी मात्रा में मैग्नीशियम, सल्फर और तांबा जैसी धातुएं पाई जाती हैं।

केला कौन सी बिमारियों को ठीक करता है-

केले के सेवन से शरीर में कैल्शियम, फॉस्फोरस और नाइट्रोजन का अच्छा भंडारण होता है। जिनसे मजबूत और नए ऊतकों का निर्माण होता है। केले में इन्वर्ट शुगर भी होती है। जो उपापचंय (मेटाबोलिज्म) के लिए बहुत मददगार होता है।

1- आँतों की बीमारियां

आँतों में कोई रोग हो जाए तो रोगी को भोजन के रूप में केला दिया जाता है। इसमें एक ऐसा मिश्रण (रसायन) पाया जाता है, जिसे अभी तक कोई नाम नहीं दिया जा सका है। इसमें विटामिन 'यू' पाया जाता जो कि अल्सर की बीमारी में बहुत ही फायदेमंद होता है। केवल यही एक ऐसा फल है जो अल्सर के पुराने मामलों में भी अपने प्राकतिक रूप में बेखटके खाया सकता है। यह अनेक पाचक रसों की अति अम्लता को दूर करता है और पेट की भीतरी दीवारों पर परत चढ़ाकर अल्सर की खराश को कम करता है। पके हुए केले बड़ी आंत में घाव की वजह से आई सूजन के इलाज में बहुत मदद करते हैं। क्योंकि केला चिकना, मुलायम और आराम से हज़म होने वाला व पेट साफ करने वला फल होता है। पके केले इस रोग के लक्षणों को कम करते हैं और रोगी को जल्द ही ठीक करते हैं।

2- कब्ज और अतिसार

कब्ज का इलाज करने में केले इसलिए मददगार होते हैं, क्योंकि इसमें 'पैक्टिन' नामक रसायन भरपूर मात्रा में मिलता है। यह पानी सोख लेता है जिससे पेट में मॉल की मात्रा बढ़ जाती है। केले आंतों में मौजूद हानिकारक दड़ंणुओं (बेसिली) को लाभकारी जीवाणु एक्डीडोफिलस बेसिली में बदल देते हैं।

3- आमवात और गठिया

आमवात और गठिया के इलाज में भी केलों से बहुत सहायता मिलती है  .इन रोगों में तीन-चार दिन तक केवल केले खाने की सलाह दी जाती है।  रोगी को रोज आठ-नौ केलों के आलावा कुछ और खाने को न दिया जाए।

4- खून की कमी

केले में लौह की मात्रा भरपूर होती है। इसलिए खून की कमी दूर करने में केला बहुत सहायता करता है। यह खून में लाल कणों की वरदी करता है।

5- गुर्दे के रोग

केला में प्रोटीन और नमक कम मात्रा में होते हैं, मगर कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा ज्यादा होती है। एक रोग होता है रेमि, जो गुर्दे में खून जमा हो जाने और गुर्दों के ठीक से काम न कर पाने के कारण जहर बनने का तकनीकी नाम है। इसके इलाज में भी केला बहुत उपयोगी है। इसमें रोगी को प्रतिदिन आठ-नौ केले तीन दिन तक खाने दें। इसके आलावा रोगी को और कुछ खाने को न दिया जाए। यह इलाज नेफ्राइटिस सहित गुर्दे के सभी रोगों में सफल हुआ है।

 

6- क्षय रोग

क्षय रोग यानि टीबी जैसे रोगों के इलाज में भी केला उपयोगी है। ब्राजील, दक्षिण अमेरिका के डॉ. जे. मोंटोल्विज के अनुसार, प्लांटेन केले या पकाए जाने वाले साधारण केले का रस क्षय (तपेदिक) के इलाज में चमत्कारक है। वे दवा करते हैं कि इस दवा से उन्होंने तपेदिक के रोगियों का दो माह में सफल इलाज किया है। जिनका रोग बढ़ चुका था और जो बहुत ज्यादा व बार-बार खांसते थे, अधिक मात्रा में बलगम थूकते थे और जिन्हे बुखार भी तेज रहता था।

7- मासिक धर्म की गड़बड़ियां

कच्चे केले की सब्जी बनाकर उसे दही के साथ सेवन करना मासिक धर्म के समय पीड़ा होने तथा मासिक धर्म में बहुत ज्यादा रक्त जाने को रोकने में असरदार है। समझ जाता है कि केले के फूल महिलाओं में प्रोजोस्टिरेन हार्मोन्स की वृदि करते हैं, जिससे मासिक धर्म में ज्यादा रक्त नहीं जाता।

पके हुए केले भोजन के बाद मीठी चीज़ के रूप में या नाश्ते के रूप में खाए जाते हैं। सलाद या चाट में दूसरों फलों के साथ भी उपयोग किये जाते हैं। पूरी तरह से पका केला कैलोरी प्रदान करने वाला संपूर्ण भोजन होता है। पोषण की दृष्टि से यह आलू जैसा ही है।

(इस आर्टिकल को प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित डॉक्टर हरिकृष्ण बाखरु की किताब से साभार लिया गया है।)

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